
मेरे पिछले लेखों द्वारा मैनें आप लोगों को बताया था कि किस तरह शिवसेना नेता दशरथ घाड़ी ने आरे के जंगल को डम्पिंग ग्राउन्ड बनाकर और वहाँ गैरकानूनी निर्माण कार्य कर के करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे किए हैं | यदि आपने मेरे उन लेखों को न पढ़ा हो तो यह रहे लिंक :
आरे बचाओ के नाम पर मुंबई वासियों के साथ धोखा, शिवसेना नेता ने बनाया आरे को डम्पिंग ग्राउंड
भू माफिया शिवसेना नेता द्वारा आरे की जमीन पर गैरकानूनी कब्जा, आरे बचाओ के नाम पर एक और धोखा
इस लेख द्वारा मैं आपको बताऊँगा कि आरे में एक दशरथ घाड़ी नहीं है | कई दशरथ घाड़ी पड़े हुए हैं जो अलग-अलग तरीके से आरे मे उपलब्ध सरकारी साधनों का शोषण कर करोड़ों रुपये कमा चुके हैं | आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि आरे मे कई सारे सरकारी गोडाउन और दुकान है जिसे आरे प्रशासन समय-समय पर किराये पर देता रहता हैं | इन दुकानों और गोडाउन का किराया औसतन एक लाख के ऊपर होता है | राज्य सरकार को इससे अच्छी खासी कमाई हो जाती है | यहाँ तक तो सब ठीक है | लेकिन सरकारी डिपार्ट्मन्ट हो, पैसे का लेन-देन भी हो और उसमें घोटाला होता हो यह संभव है भला ?
यहाँ भी सरकार सरकार को चूना लगाने का काम जोरों शोरों से चल रहा है | कई लोगों की लाइन लगी है जिन्होनें सरकार से किराये पर गोडाउन और दुकान तो ले ली किंतु आज तक उस जगह का एक पैसा किराया नहीं दिया | और उन्हें ऐसा करते-करते कई साल बीत गए हैं | इन लोगों का खुद का कोई व्यवसाय भी नहीं है | यह लोग-लोग अलग-अलग नाम से टेन्डर भरकर 5-6 गोडाउन और दुकान किराये पर लेते हैं | उन्ही दुकानों को दो गुने से तीन गुने दामों पर दूसरों को किराये पर दे देते हैं | और वो पैसा पूरा का पूरा खुद की जेब मे डाल लेते हैं |

उदाहरण के तौर पर आपको बताता हूँ – आरे में मयूर गोसावी नाम के व्यक्ति ने 5-6 गोडाउन और दुकान 2018 से किराये पर लेकर रखे हैं | किराये पर लेते समय न उसने आरे प्रशासन के साथ ठीक से अग्रीमन्ट किया न सिक्युरिटी deposite दिया | इसके बावजूद सारे के सारे दुकान जादुई तरीके से उसके कब्जे मे या गए | दो साल हो गए, उसने आरे प्रशासन को एक रुपया नहीं दिया | सरकार का अगभग डेढ़ करोड़ रुपया निकलता है उस पर | लेकिन वो पूरी आरे प्रशासन को ठेंगा दिखाकर वहीं बैठा हुआ है | मयूर गोसावी का खुद का कोई व्यवसाय भी नहीं है | वो आरे के गोडाउन और दुकानों को किराये पर देकर प्रतिमाह 20 लाख के आस-पास कमा रहा है | दो साल मे लगभग पाँच करोड़ कमा चुका है | लेकिन सरकार को देने के लिए उसके पास एक पैसा नहीं है |

मजे की बात तो सोचिए कि हमारे आरे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी न आज तक मयूर गोसावी से एक पैसा निकाल पाए हैं न उससे उन गोडाउन और दुकानों को खाली करा पाए हैं | आरे मे ऐसे कई मयूर गोसावी बैठे हैं जो सरकार का लगभग साढ़े पाँच करोड़ दबाकर बैठे हैं | लेकिन हमारे भोले-भाले सीईओ साहब को जब आरे मे डम्पिंग का पता नहीं चला, जमीन पर कब्जे का पता नहीं चला तो किराया न मिलने जैसी छोटी-मोटी बात का पता कैसे चलेगा ? सही बात है न सीईओ साहब ?
आज के लिए इतना ही | मेरे इस लेख मे मैंने गोडाउन और दुकान के आबंटन मे होनेवाले भ्रष्टाचार की तरफ इशारा ही किया है | अगले लेख मे मैं आपको इस मामले मे आरे प्रशासन के शामिल होने का सबूत भी दूँगा |