
मुंबई के आरे मे बननेवाले मेट्रो के कारशेड को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि प्रदेश की शिवसेना-काँग्रेस-राष्ट्रवादी सरकार ने मेट्रो कारशेड को आरे से हटाकर कांजूर मार्ग मे बनाने का निर्णय लिया है | इस प्रक्रिया मे आम जनता पर चार हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा | इससे आगे चलकर मेट्रो महँगा भी होगा और उसे बनाने मे कई वर्षों की देरी भी होगी | मेरे पहले लेख ” फिल्मसिटी को हाँ पर मेट्रो कारशेड को ना, आरे बचाओ के नाम पर समाज को गुमराह करने की कोशिश ” के द्वारा मैंने यह बताया था कि आरे बचाने के नाम पर किस तरह हम लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है | इस लेख और आनेवाले कई लेखों द्वारा मैं इस बात को और भी स्पष्ट रूप से साबित कर दूँगा |
मुंबई मे जब भी किसी पुरानी इमारत को तोड़ा जाता है तो उसके मलबे को ठिकाने लगाना बिल्डर के लिए एक बड़ी समस्या रहती है | मलबे को ठिकाने लगाने की कानूनी प्रक्रिया काफी महँगी होती है | इसलिए बिल्डर भरनी माफिया के साह मिलकर, पुलिस और BMC कर्मचारियों को रिश्वत देकर कहीं न कहीं इमारत का मलबा गैरकानूनी तरीके से डम्प करा देता है | फिलहाल आरे के जंगल बिल्डरों के लिए डम्पिंग ग्राउंड बने हुए हैं |
प्रस्तुत विडियो को ध्यान से देखिये | यह चार दिन पहले रेकॉर्ड किया गया है | यह इलाका आरे का वो भाग है जो जोगेश्वरी विक्रोली लिंक रोड से जुड़ा हुआ है | इसमें आपको इमारतों का ढेर सारा मलबा दिख रहा होगा | यह मलबा रोज रात को ट्रकों में भरकर आता है और आरे मे डम्प कर दिया जाता है | आरे मे पचासों जगह पर आपको इस तरह के मलबे का ढेर दिखाई देगा | इस मलबे के कारण आरे के पेड़ पौधे तहस – नहस हो रहे हैं |
(जल्दी ही आरे के कुछ अन्य स्थानों के इसी तरह के विडियो अपलोड करूँगा और इस लेख मे जोड़ दूँगा |)

आरे मे होनेवाली इस गैरकानूनी डम्पिंग मे सेल्वाकुमार और कन्नन चिन्ना दुराई जैसे दुर्दांत, वांटेड और तड़ीपार अपराधियों का हाथ है | यह दोनों शिवसेना नेता दशरथ घाड़ी के इशारे पर आरे मे डम्पिंग कराते हैं | दशरथ घाड़ी शिवसेना के महाराष्ट्र राज्य माथाड़ी आणि जनरल कामगार सेना का संयुक्त सचिव है | उसके प्रभाव मे आकर स्थानीय पुलिस और आरे के पदाधिकारी मामले मे कोई कारवाई नहीं करते | कोई कारवाई नहीं करते ऐसा कहना सही नहीं है | जब भी कोई जागरूक नागरिक या पत्रकार मामले की शिकायत करते हैं तो एक केस दर्ज कर लिया जाता है | सेल्वाकुमार और कन्नन चिन्ना दुरई पर भी केस दर्ज हुए हैं पर डम्पिंग जैसे की तैसे चलती रहती है | वो कभी नहीं रुकती |
इस पूरे मामले से आप समझ जाइए कि आरे बचाने की सिर्फ नौटंकी हो रही है | आरे के जंगल अब भी नहीं बचेंगे लेकिन अब वो आम आदमी के काम नहीं आएगा | अब वो नेताओं की जेब भरकर नष्ट होगा | और डम्पिंग इकलौता मामला नहीं है | आनेवाले लेखों मे मैं कई और मामले बताऊंगा जो यह स्पष्ट कर देगा कि आरे को अंदर से खोखला करने की पूरी तैयारी हो चुकी है |
( लेखक : सुधीर सिंह, विक्रोली पश्चिम, मुंबई)


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